शाश्वत छे नवकार

सिद्धगिरीना शिखरो बोले… ॐ नमो अरिहंताणं...(2)
आदेश्वर नी ध्वजाओ बोले... ॐ नमो सिद्धाणं ...(2)
डूंगर चढ़ता यात्रिक बोले... ॐ नमो आयरियाणं...(2)
रायण पगले दर्शन करता... ॐ  नमो उवज्झायाणं...(2)
आदेश्वरनूं मुंखडु जोता... नमो लोए सव्व साहूणं...(2)
दर्शन करता साहू बोलो... ऐसो पंच नमुक्कारो...(2)
नवपद नी महिमा गावो तो, सव्व पावप्पणासणो...(2)
सेठ सुदर्शन नुं मन बोले, मंगलाणं च सव्वेसिं...(2)
धन्ना जय नो अणगार बोले, पढ़मं हवइ मंगलम्...(2)
पढ़मं हवइ मंगलम्... पढ़मं हवइ मंगलम्...(2)

मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...


मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा
यह  वो जहाज जिसने लाखों को तारा

णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं

अरिहंतों को नमन हमारा, अशुभ कर्म अरि हनन करें
सिद्धों के सुमिरन से आत्मा सिद्ध क्षेत्र को गमन करे
भव भव-२  में ना हो जनम दोबारा,
मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...

आचार्यों के आचारों से निर्मल निज आचार करें
उपाध्याय का ध्यान धरें हम संवारता सत्कार करें
सर्व साधू  को... (२)नमन हमारा,
मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...


सोते उठते, चलते फिरते इसी मंत्र का जाप करे
ताप हमारे तो उनका भी छेद अपने आप करें
इसी मंत्र का लेलो सहारा,
मंत्र णमोकार हमें प्राणो से प्यारा...

नवकार जपने से सारे सुख मिलते है

नवकार जपने से सारे सुख मिलते है,
जीवन में, तन मन के, सारे  दुःख मिटते है।
मन उपवन में खुशियों के, फूल खिलते है । नवकार।।
अडसठ अक्षर है इसके, हां इसके, हां इसके,
जो ध्याता है दुःख टल जाते उसके, -2
परमेष्टी पांच है पावन, हाँ पावन, हाँ पावन,
नवपद भी है पवित्र,हाँ मन भावन -2 ।
जाप जपो, जपते रहो, बंधन कटते है ।।नवकार।।
पापों से बचकर रहना, हां रहना, हां रहना,
दुःख आये तो हँसते हँसते सहना,-2
नवकार करेंगा रक्षा, हाँ रक्षा, हाँ रक्षा,
ये अरिहंत है प्रसन्नता का नक्शा, -2 ।
जाप जपो, जपते रहो, बंधन कटते है । नवकार ।।
जब कोई हमसे रूठें, हाँ रूठें, हाँ रूठें,
दिल टूटे और रिश्ता कोई छूटे, -२
मन में ना उदासी लाना, ना लाना, ना लाना,
परमेष्टी से दिल का नाता, लगाना, -2
जाप जपो, जपते रहो, बंधन कटते है । नवकार ।

श्री नाकोडा भैरव चालीसा

।।दोहा।।
पार्श्वनाथ भगवान की मूरत चित बसाय
भैरव चालीसा पढ़ूँ गाता मन हर्षाय।।
नाकोडा भैरव सुखकारी, गुण गाये ये दुनिया सारी ॥१॥
भैरव की महिमा अति भारी, भैरव नाम जपे नर – नारी ॥२॥
जिनवर के हैं आज्ञाकारी, श्रद्धा रखते समकित धारी ॥३॥
प्रातः उठ जो भैरव ध्याता, ऋद्धि सिद्धि सब संपत्ति पाता ॥४॥
भैरव नाम जपे जो कोई, उस घर में निज मंगल होई ॥५॥
नाकोडा लाखों नर आवे, श्रद्धा से परसाद चढावे ॥६॥
भैरव – भैरव आन पुकारे, भक्तों के सब कष्ट निवारे ॥७॥
भैरव दर्शन शक्ति – शाली, दर से कोई न जावे खाली ॥८॥
जो नर नित उठ तुमको ध्यावे, भूत पास आने नहीं पावे ॥९॥
डाकण छूमंतर हो जावे, दुष्ट देव आडे नहीं आवे ॥१०॥
मारवाड की दिव्य मणि हैं, हम सब के तो आप धणी हैं ॥११॥
कल्पतरु है परतिख भैरव, इच्छित देता सबको भैरव ॥१२॥
आधि व्याधि सब दोष मिटावे, सुमिरत भैरव शान्ति पावे ॥१३॥
बाहर परदेशे जावे नर, नाम मंत्र भैरव का लेकर ॥१४॥
चोघडिया दूषण मिट जावे, काल राहु सब नाठा जावे ॥१५॥
परदेशा में नाम कमावे, धन बोरा में भरकर लावे ॥१६॥
तन में साता मन में साता, जो भैरव को नित्य मनाता ॥१७॥
मोटा डूंगर रा रहवासी, अर्ज सुणन्ता दौड्या आसी ॥१८॥
जो नर भक्ति से गुण गासी, पावें नव रत्नों की राशि ॥१९॥
श्रद्धा से जो शीष झुकावे, भैरव अमृत रस बरसावे॥२०॥
मिल जुल सब नर फेरे माला, दौड्या आवे बादल – काला ॥२१॥
वर्षा री झडिया बरसावे, धरती माँ री प्यास बुझावे ॥२२॥
अन्न – संपदा भर भर पावे, चारों ओर सुकाल बनावे ॥२३॥
भैरव है सच्चा रखवाला, दुश्मन मित्र बनाने वाला ॥२४॥
देश – देश में भैरव गाजे, खूटँ – खूटँ में डंका बाजे ॥२५॥
हो नहीं अपना जिनके कोई,भैरव सहायक उनके होई ॥२६॥
नाभि केन्द्र से तुम्हें बुलावे,भैरव झट – पट दौडे आवे ॥२७॥
भूख्या नर की भूख मिटावे,प्यासे नर को नीर पिलावे ॥२८॥
इधर – उधर अब नहीं भटकना, भैरव के नित पाँव पकडना ॥२९॥
इच्छित संपदा आप मिलेगी, सुख की कलियाँ नित्य खिलेंगी ॥३०॥
भैरव गण खरतर के देवा, सेवा से पाते नर मेवा ॥३१॥
कीर्तिरत्न की आज्ञा पाते, हुक्म – हाजिरी सदा बजाते ॥३२॥
ऊँ ह्रीं भैरव बं बं भैरव, कष्ट निवारक भोला भैरव ॥३३॥
नैन मूँद धुन रात लगावे, सपने में वो दर्शन पावे ॥३४॥
प्रश्नों के उत्तर झट मिलते, रस्ते के संकट सब मिटते ॥३५॥
नाकोडा भैरव नित ध्यावो, संकट मेटो मंगल पावो ॥३६॥
भैरव जपन्ता मालम – माला, बुझ जाती दुःखों की ज्वाला ॥३७॥
नित उठे जो चालीसा गावे, धन सुत से घर स्वर्ग बनावे ॥३८॥
॥ दोहा ॥
भैरु चालीसा पढे, मन में श्रद्धा धार ।
कष्ट कटे महिमा बढे, संपदा होत अपार ॥३९॥
जिन कान्ति गुरुराज के,शिष्य मणिप्रभ राय ।
भैरव के सानिध्य में,ये चालीसा गाय ॥ ४०॥

आरती

जय जय आरती आदि जिणंदा
नाभिराया मरुदेवी को नंदा  जय...Il१ ||
पहली आरती पूजा कीजे,
नरभव पामी ने ल्हावो लीजे  जय....||२||
दुसरी आरती दीन दयाला,
धुलेवा नगरमां जग-अजवाला जय....||३||
तीसरी आरती त्रिभुवन देवा,
सूर नर इन्द्र करे तोरी सेवा जय....||४||
चौथी आरती चऊ गति चुरे,
मन वांछित फल शिव सुख पूरे   जय....||५||
पंचमी आरती पुण्य उपाया,
मूलचंद ऋषभ गुण गाया         जय....||६||

मंगल दीवो

दीवो रे दीवो प्रभु मांगलिक दीवो,
आरती उतारीने बहु चिरंजीवो, दीवो..... ॥१।।
सोहामणु घेर पर्व दिवाली,
अम्बर खेले अमराबाली,दीवो..... ||२||
दीपाल भणे अेने  कुल अजवाली,
भावे भगते विघन निवारी,दीवो..... ।।३।।
दीपाल भणे येणे कलिकाले,
आरती उतारी राजा कुमारपाले,दीवो..... ||४||
अम घेर मंगलिक, तुम घेर मंगलिक,
मंगलिक चतुर्विध संघ ने होजो,दीवो..... ||५||

श्री भैरुजी की आरती

ॐ जय जय जयकारा वारि जय जय झंकारा,
आरती उतारो भविजन मिल कर भैरव रखवाला,
वारि जीवन रखवाला । ॐ  जय जय जयकारा |
तूं समकिती सुरनर मन मोहक, मंगल नितकारा (वा.म.)
श्री नाकोड़ा भैरव सुन्दर, जनमन हरनारा (वा.ज.) ।।१।।
खडग त्रिशुलधर खप्पर सोहे, डमरु कर धारा (वा.ड.)
अदभूत रुप अनोखी रचना, मुकुट कुण्डल सारा (वा.ज.) ।।२।।
ॐ ह्रीं क्षां क्षः मंत्र बीज युत, नाम जपे तारा (वा.ना.)
ऋद्धि सिद्धि अरु सम्पद मनोहर, जीवन सुखकारा (वा.जं.) ।।३।।
कुशल करे तेरा नाम लिया नित, आनंद करनारा (वा.आ.)
रोग शोक दु:ख दारिद्र हरता, वांछित दातारा (वा जं.) ।।४।।।
श्रीफल, लापसी, मातर, सुखडी, लड्डु, तेल धारा (वा.ल.)।
धूप, दीप, फूल, माल, आरती, नित नये रविवार (वा.नि.) ।। ५ ।।
वैयावच्च करता संघ तेरी, ध्यान अड्ग धारा (वा. ध्यान)
हिम्मत हित से चित्त में धरता, भव्यानन्द प्यारा (वा.ज.)।।६।।
दो हजार के शुभ संवत्सर, पोष मास रसाला (व.पो.)
श्री संघ मिलकर करे आरती, मंगल शिव माला (वा.जं.) ।।७।।

श्री पार्श्वनाथ प्रार्थना

आणी मनसुध आस्था, देव जुहारूँ ,
पार्श्वनाथ मन वांछित पूर, चिंतामणी म्हारी चिन्ता चूर...||१||
अणियाली थॉरी आंखडी, जाणे कमल तणी पांखडी,
मुख दिखता दु:ख जावे दूर, चिंतामणी म्हारी चिन्ता चूर...||२||
को केहने को केहुने नमे, म्हारे मन में तुंही ज रमे,
सदा जुहारूँ उगते सूर, चिंतामणी म्हारी चिन्ता चूर...||३||
मुझ मन लागी तुम सुं प्रीत, दुजो कोई न आवे चित,
कर मुझ तेज प्रताप प्रचूर, चिंतामणी म्हारी चिन्ता चूर...||४||
वीछडिया वालेसर मेल, वैरी दुश्मन पाछा ठेल,
तू छे म्हारे हाजरा हुजुर, चिंतामणी म्हारी चिन्ता चूर...||५||
यह स्तोत्र जे मन में धरे, तेहना चिन्त्या काज सरे,
आधि व्याधि दु:ख जावे दूर, चिंतामणी म्हारी चिन्ता चूर...||६||
भवोभव देजो तुम पद सेव, श्री चिंतामणी अरिहंत देव,
समय सुन्दर कहे सुख भरपूर, चिंतामणी म्हारी चिन्ता चूर...||७।।

श्री भैरव प्रार्थना

आवोजी आवो भैरवनाथ, ओ नाकोड़ा वाले  |
तुम हो डूंगरीया वाले, तुम हो घूँघरीया वाले ||
मस्तक मुकुट सोहे, कानो मैं कुंडल सोहे |
गले मोतियन को हार, ओ नाकोड़ा वाले  ||  ||
हाथे खड्गधारी, डमरू की शोभा न्यारी |
चौसठ योगिनी साथ, ओ नाकोड़ा वाले  ||  ||
अष्ट बुझ को धारी, शत्रु को दो सम्हारी |
मेरे तो तुम्ही एक नाथ, ओ नाकोड़ा वाले ||  3  ||
तीर्थ नाकोडा सोहे, भव्य जीवो को मोहे |
दीपे भैरव मनोहर, ओ नाकोड़ा वाले ||   ||
आवोजी आवो भैरव, दरस दिखाओ |
दुःखडा मिटाओ मेरा नाथ ,ओ नाकोड़ा वाले || 5 ||
ध्यान तुम्हारा धारू , काज हमारा सारो |
श्री संघ के सर पर तेरा हाथ, ओ नाकोड़ा वाले || 6 ||
चिंता जी चुरो ने आशा जी पूरो ने ,
नव निधि करो मेरे नाथ,ओ नाकोड़ा वाले || 7  ||

पारस प्यारो लागे

पारस प्यारो लागे नाकोड़ा प्यारो लागे
थारी बकलडी झाड़ी में गेलो भूल्यो मारा पारस जी -(२)
मै गेलो कइया पावला .....
अब डर लागे छे माने बार बार पुकारू थाने
थारा पर्वत री खीनो मै सिंह, धडूके म्हारा पारस जी -(२)
मै गेलो कइया पावला .....
थे राग द्वेष ने त्याग्या, मै आवा भाग्या भाग्या,
थारा पर्वत री भाटा री ठोकर, लागे म्हारा पारस जी -(२)
मै गेलो कइया पावला .....
मै दूर देश थी  आविया थारा  ऊंचा देख्या माल्या
थारो चढ्यो  चढ्यो चढ़ावो प्यारो लाग्यो म्हारा पारस जी -(२)
मै गेलो कइया पावला .....
थे झूठ बोलनों छोडो, थे पूजा करवा दोड़ो ,
थारा पर्वत रा पहाड़ो में गेलो , मिलसी म्हारा पारस जी -(२)
मै गेलो कइया पावला .....

यह है पावन भूमि

यह है पावन भूमि, यहाँ बार- बार आना,
पारसनाथ के चरणों में, आकर के झुक जाना,
यह है पावन.....
तेरे मस्तक पे मुकट है .... तेरे कानो में  कुण्डल है,
तू करुणा सागर है ,मुझ पर करुणा करना,
यह है पावन....
तू जीवन स्वामी है.... तू अंतर्यामी है,
मेरी विनती सुन लेना, भवपार लगा देना,
यह है पावन.....
तेरी सावली सुरत है ....मेरे मन को लुभाती है,
मेरे प्यारे प्यारे जिनराज, युग युग में अमर रहे
यह है पावन....
तेरा शासन सुन्दर है..... सभी जीवो का तारक है,
मेरी डूब रही नैया , नैया पार लगा देना
यह है पावन.....

आज रविवार है

आज रविवार है , भैरव तेरा वार है
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे, उसका बेडा पार है
......आज रविवार है
मेवानगर का राजा तू तो , डुंगरिया का वासी
डुंगरिया का रक्षक बनकर,बैठा मस्त दीवाना
.......आज रविवार है.
मस्तक मुकुट कानो मैं कुंडल, गले मोतियाँ की माला
जग मग जग मग अंगिया सोहे, मुखड़ा पूनम चंदा हो
........आज रविवार है.
धुप दीप से पूजा तेरी, मनोहारी सी लगती है..
पुष्प सुगन्धित चंपा चमेली,अर्पित चरनन करते है
........आज रविवार है.
मन की तम्मना पूरी करता, भक्तो का रखवाला रे
चिंता चूरन आशा पूरण, करता भैरव नाथ रे
........आज रविवार है.
मेवा नगर के वासी हो, तुम इन्द्र पूरी मैं विराजे हो
दूर दूर से आते आते दर्शन कर हर्षाते हो
........आज रविवार है.
करता सेवक अरज चरण मैं, आशा पूरण कर्जो जी
नाकोडा दरबार की विंनती , भक्तो की लाज रखना जी
........आज रविवार है.

मेरे मन में पारसनाथ

मेरे मन में पारसनाथ ,तेरे मन में पारसनाथ -२
रोम रोम में समाया पारस नाथ रे
मेरी सांसो में समाया पारस नाथ रे
जैसे फूलो में सुगंध -२ ,जैसे कलियों में है रंग  -२
कतरे कतरे में समाया पारसनाथ रे....
मेरी सांसो...
जैसे नदियों में है गंगा -2,जैसे नभ में सोहे चंदा -२
पत्ते पत्ते में लिखा है  पारसनाथ रे ..
मेरी सांसो ...
जैसे शंखेश्वर में धाम ,जैसे जीरावला में धाम
जैसे लुद्रवा जी में धाम ,जैसे नागेश्वर में धाम
जैसे नाकोड़ा बिराजे पारस नाथ रे..
मेरी सांसो में...

जय बोलो महावीर स्वामी की

जय बोलो महावीर स्वामी की ,
घट -घट के अन्तर्यामी की।
जिस जगती का उद्धार किया किया।
जो आया शरण वह पार किया।
जिस पीड़ सुनी हर प्राणी की।
जय बोलो महावीर स्वामी की.......
जो पाप मिटाने आया था।
जिस भारत आन जगाया था।
उस त्रिशला नंदन ज्ञानी की।
जय बोलो महावीर स्वामी की.......
हो लाख बार प्रणाम तुम्हे।
हे वीर प्रभु भगवान तुम्हे।
मुनि दर्शन मुक्ति गामी की।
जय बोलो महावीर स्वामी की.....

आंखड़ी मारी प्रभु हरखाय छे ...

आंखड़ी मारी प्रभु हरखाय छे ...(२)
ज्यां तमारा मुख ना दर्शन थे छे  ..(2)
                        ….आंखड़ी मारी

देवनुं विमान जाणे ऊतर्युं..(2)
एवुं मंदिर आपनु शोभाय  छे ..(2)

                           …..ज्यां तमारा  
                               …...आंखड़ी मारी  

आ संसारे रड़कीने थाकि गयो
भटकिने तारा शरणे आवी गयो...
                             …..ज्यां तमारा  
                               …...आंखड़ी मारी


चांदनी जेवि प्रतिभा आपनी...
तेज एनो चौ तरफ फैलाय छे …

                            …..ज्यां तमारा  
                               …...आंखड़ी मारी  


मुखडो जाने पूनम नो चन्द्रमा ...
दिलमातो ठंडक अनेरी ठाय छे ....

                             …..ज्यां तमारा  
                               …...आंखड़ी मारी